How BYD Became The Biggest Headache For Tata & Mahindra? लेकिन क्यों?

BYD इस वक्त दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है जो ऐसी कूल और एडवांस्ड इलेक्ट्रिक कारें बनाती है और BYD सिर्फ चाइना में ही नहीं बल्कि यूरोप और एशिया के कई मार्केट्स के अंदर टॉप प्लेयर बन चुकी है। इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री के मामले में और जिस रफ्तार से BYD आगे बढ़ रही है।

ऐसा लग रहा है कि जल्द ही यह इंडियन मार्केट को भी हाईजैक कर लेगी। अगर यह कंपनी इंडिया में सीरियस हो गई तो Tata, Mahindra और Hyundai सबकी बैंड बजा देगी। BYD आज इतनी बड़ी बन चुकी है कि जितनी कारें पूरी इंडियन कार इंडस्ट्री मिलकर बेचती है BYD अकेले उससे ज्यादा गाड़ियां बेच देती है।

यहां तक कि Tesla भी आज BYD के पीछे चल रही है। एलन मस्क ने खुद कभी BYD की गाड़ियों का मजाक उड़ाया था। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था हैव यू सीन देयर कार्स? लेकिन आज हालात ये हैं कि Tesla भी BYD के आसपास नहीं है।

अब सवाल यह उठता है कि क्या Tata और Mahindra जैसे इंडियन ब्रांड्स के लिए BYD खतरा है और साथ में यह भी कि BYD आखिर इतनी बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी बनी कैसे? जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक पढना और सब्सक्राइब कर लो ऐसे ही रेगुलर कार कंटेंट के लिए क्योंकि, हम कार रिलेटेड अपडेट लाते रहेते है।

BYD की शुरुवात केसे हुई?

तो चलिए शुरुआत करते हैं बिल्कुल शुरू से। BYD की शुरुआत 1995 में Hong Kong के एक छोटे से ऑफिस से हुई थी। जब फाउंडर वोंग चानफू ने बैटरी मैन्युफैक्चरिंग से अपना बिजनेस शुरू किया। उस समय यह कंपनी सिर्फ रिचारजेबल बैटरीियां बनाती थी। मोबाइल फोन, कैमरा और छोटी इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए।

यह जापानी बैटरीियों को खोलकर समझती, कॉपी करती और सस्ती बैटरीियां बनाती। क्योंकि वांग ने जल्दी ही समझ लिया था कि बैटरी ही आने वाले समय का नया ऑयल है और इस तरह 2002 तक BYD चीन का सबसे बड़ा बैटरी निर्माता बन चुका था। लेकिन यह तो सिर्फ शुरुआत थी।

अब BYD ने खुद कार बनाने का सपना देखा और यहीं से 2003 में BYD ऑटो का जन्म हुआ। BYD ने एक स्ट्रगल कर रही चाइनीस कार कंपनी चिनचुआ ऑटोमोबाइल को खरीद लिया। सब लोग हंस रहे थे। बैटरी बनाने वाली कंपनी अब कार बनाएगी। लेकिन वांग ने यह साबित किया कि अगर टेक्नोलॉजी और विज़न हो तो कुछ भी मुमकिन है।

2005 में BYD ने लॉन्च की अपनी पहली कार BYD F3 जो कुछ-कुछ Toyota Corolla की चाइनीस कॉपी जैसी लगती थी। लुक और फीचर्स एवरेज थे लेकिन इसकी कीमत सिर्फ 8 लाख थी और बस यहीं से धमाका हो गया। कुछ ही सालों में इस कार की 10 लाख यूनिट्स बिक गई।

इसके बाद आई F3M दुनिया की पहली प्लग इनहाइब्रिड कार लेकिन इसका प्राइस ज्यादा था और यह उतनी रिलायबल और एडवांस भी नहीं थी। इसीलिए इसकी सिर्फ 50 यूनिट बिकी जो कि टोटल फ्लॉप गाड़ी निकली BYD के लिए। फिर 2009 में BYD ने लॉन्च की E6 एक फुल इलेक्ट्रिक कार। शुरुआत में इसमें भी शिकायतें आई पर चाइना की सरकार ने आर्डर दिए थे कि सारे टैक्सी ओनर्स को इलेक्ट्रिक कार्स को अडॉप्ट करना पड़ेगा।

इसीलिए इस कार ने अच्छा Sales Grab की। फिर कुछ समय बाद चीन की सरकार ने कहा अब बसें भी इलेक्ट्रिक चाहिए और सारे टेंडर BYD को मिल गए। बस यहीं से BYD ने ऐसी स्पीड पकड़ी कि आज तक मुड़ के नहीं देखा। BYD की सफलता में चाइनीस गवर्नमेंट का पूरा सपोर्ट रहा।

सरकार ने BYD जैसी ईवी कंपनियों को ना सिर्फ सस्ते लोन दिए बल्कि जमीन, RND सब्सिडी और टैक्स छूट में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। 2011 तक BYD चीन में 4 लाख से ज्यादा कारें बेच रहा था। लेकिन ग्लोबली मार्केट में यह अभी भी स्ट्रगल कर रहा था क्योंकि इसके लुक अच्छे नहीं थे।

टेक्नोलॉजी पुरानी थी और कारों का फील भी लोगों को बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था। इन सबके कारण 2019 तक BYD लगभग दिवालिया होने की कगार पर था। Tesla इस समय पूरी दुनिया में छा चुका था।

यहां तक कि चीन के लोग भी BYD छोड़कर Tesla खरीदना चाहते थे। लेकिन वांगचानफू अलग सोचते थे। उन्होंने रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर कभी भी कॉम्प्रोमाइज नहीं किया।

केसे BYD सबको पीछे छोड़ दिया?

BYD CAR
BYD CAR

हर साल अरबों डॉलर रिसर्च पर खर्च किए। चाहे प्रॉफिट हो या लॉस और उसी का नतीजा आया 2020 में जब उन्होंने दुनिया को ब्लेड बैटरी से इंट्रोड्यूस किया।

यह बैटरी सिर्फ फायर प्रूफ ही नहीं थी बल्कि इसकी लाइफ भी नॉर्मल लिथियम आयन बैटरी से तीन गुना ज्यादा थी। यह इतनी टफ थी कि उस पर ट्रक चला दो या सुई घुसेड़ दो इसको कुछ नहीं होता। एक और कमाल की बात इस बैटरी का साइज छोटा था।

तो छोटी कारों में भी इससे ज्यादा रेंज मिल रही थी और आज तो हालत यह है कि दुनिया की दूसरी कंपनियां भी BYD से यह बैटरी टेक्नोलॉजी लेना चाह रही हैं। BYD अपनी कारों के ज्यादातर पार्ट्स खुद बनाती है। बैटरीियां, मोटर, सेमीकंडक्टर सब कुछ किसी भी थर्ड पार्टी सप्लायर पर डिपेंड नहीं।

इससे सिर्फ लागत कम नहीं होती बल्कि प्रोडक्शन का पूरा कंट्रोल BYD के हाथ में होता है। जहां बाकी कंपनियां बोश और कॉन्टिनेंटल जैसी कंपनियों से पार्ट्स लेती हैं, वहां BYD सब खुद बना लेती है। आज BYD दुनिया की सबसे बड़ी ईवी फैक्ट्री ओन करती है जो पूरे 32,000 एकर में फैली है और यही वजह रही कि 2022 के आखिर में एक बड़ा बदलाव आया।

BYD ने इलेक्ट्रिक कारों की सेल्स के मामले में Tesla को हरा दिया। प्योर इलेक्ट्रिक प्लस हाइब्रिड दोनों को मिलाकर BYD बन गई दुनिया की नंबर एट ईवी कंपनी। 2023 में BYD ने 30 लाख से ज्यादा ईवीज बेची Tesla से भी ज्यादा।

BYD की पॉपुलर गाड़ियां Atto 3, डॉल्फिन, सील, हान ईवी ऐसे प्राइस पॉइंट्स पर आती हैं जहां Tesla पहुंच ही नहीं सकता। और आज तो चाइना, ब्राजील, नॉर्वे, यूएई, थाईलैंड हर जगह BYD की गाड़ियां धूम मचा रही हैं।

भारत में BYD केसे अपना जगह बनाया

अब बात करते हैं BYD की। भारत में एंट्री की। BYD ने भारत में एंट्री ली 2007 में इलेक्ट्रिक बसेस और कमर्शियल व्हीकल्स के जरिए। फिर 2021 में उन्होंने प्राइवेट पैसेंजर कार मार्केट में कदम रखा।

AO3 और E6 जैसी इलेक्ट्रिक कारों के साथ। आज BYD की एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट तमिलनाडु में है। जहां हर साल 10,000 यूनिट्स बन सकती हैं। उन्होंने अपना डीलर नेटवर्क भी दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे शहरों में बढ़ाना शुरू कर दिया है।

फिलहाल BYD इंडिया में सिर्फ कारों का इंपोर्ट करती है और इसी वजह से इंपोर्ट ड्यूटी के कारण इनकी गाड़ियां काफी महंगी पड़ती हैं। 2023 में उन्होंने भारत में अपना प्लांट लगाने की परमिशन मांगी थी। लेकिन सरकार ने मना कर दिया।

अब 2025 में BYD ने साफ कहा है कि वह इंडिया में किसी लोकल मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर को ढूंढ रही है और जल्द ही प्लांट लगाने की कोशिश करेगी। अगर ऐसा हो गया तो बाकी ईवी कंपनियों की नींद उड़ जाएगी।

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क्या BYD इंडिया में भी ईवी मार्केट पर राज करेगी?

अब आते हैं असली सवाल पर। क्या BYD इंडिया में भी ईवी मार्केट पर राज करेगी? और क्या Tata और Mahindra को वाकई टेंशन लेनी चाहिए? देखिए इंडिया का ऑटो मार्केट काफी कॉस्ट सेंसिटिव है और वैल्यू फॉर मनी ड्रिवन है। अगर कोई कंपनी कम दाम में शानदार ईवी फीचर्स दे रही है तो मार्केट उसी की तरफ झुकेगा।

BYD के पास सस्ती बैटरी, बेहतरीन एफिशिएंसी और कॉस्ट कटिंग का पूरा फार्मूला है। अगर उन्होंने इंडिया में मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दी तो इंपोर्ट ड्यूटी हटेगी और कीमतें गिरेंगी। लेकिन एक बात जरूरी है इंडियन कस्टमर को सिर्फ प्रोडक्ट नहीं चाहिए। चाहिए भरोसा सर्विस नेटवर्क और सस्ता मेंटेनेंस और यहां

Tata और Mahindra दोनों बहुत मजबूत हैं। यह दोनों ही लोकल मैन्युफैक्चरिंग, अफोर्डेबल प्राइसिंग और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर तेजी से काम कर रहे हैं। तो BYD के लिए यह एक आसान लड़ाई नहीं होगी। Tata और Mahindra अपना बेस्ट दे रहे हैं। लेकिन BYD जिस लेवल की टेक्नोलॉजी, एफिशिएंसी और कॉस्ट कंट्रोल लाता है, वह सच में अनमैच्ड है।

अगर BYD ने Tata की तरह एक इमोशनल कनेक्ट बिल्ड कर लिया, तो शायद चाइनीस ब्रांड होने की नेगेटिव इमेज भी हट सकती है और अगले दो-ती साल में BYD इंडिया का नंबर वन ईवी ब्रांड बन सकता है। आप कमेंट सेक्शन में बताओ क्या आप BYD की गाड़ी लेना पसंद करोगे या देसी Tata और Mahindra पर भरोसा रखोगे?

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